आपराधिक मानव वध
धारा 100 BNS in Hindi -आपराधिक मानव वध की परिभाषा (पुरानी IPC की धारा 299 )
धारा 100 BNS के अनुसार – जो कोई मृत्यु कारित करने के उद्देश्य से, या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के उद्देश्य से, जिससे मृत्यु कारित हो जाना सम्भाव्य हो, या यह ज्ञान रखते हुए कि यह सम्भाव्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे, कोई कार्य करके, मृत्यु कारित कर देता है, वह आपराधिक मानव वध का अपराध करता है।
दृष्टांत
(क) क एक गड्ढे पर लकड़ियां और घास इस आशय से बिछाता है कि तद्वारा मृत्यु कारित करे या यह ज्ञान रखते हुए बिछाता है कि सम्भाव्य है कि तद्दद्वारा मृत्यु कारित हो। ख यह विश्वास करते हुए कि वह भूमि सुदृढ़ है, उस पर चलता है और गढ्ढे में गिर पड़ता है और मारा जाता है। क ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।
(ख) क यह जानता है कि ख एक झाड़ी के पीछे है। ग यह नहीं जानता। ख की मृत्यु करने के आशय से या यह जानते हुए कि उससे ख की मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, ग को उस झाड़ी पर गोली चलाने के लिए ग को उत्प्रेरित करता है। ग गोली चलाता है और ख को मार डालता है। यहां, यह हो सकता है कि ग किसी भी अपराध का दोषी न हो, किन्तु क ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।
(ग) क एक मुर्गे को मार डालने और उसे चुरा लेने के आशय से उस पर गोली चलाकर ख को, जो एक झाड़ी के पीछे है, मार डालता है, किन्तु क यह नहीं जानता था कि ख वहां है। यहां, यद्यपि क विधिविरुद्ध कार्य कर रहा था, तथापि, वह आपराधिक मानव वध का दोषी नहीं है क्योंकि उसका आशय ख को मार डालने का, या कोई ऐसा कार्य करके, जिससे मृत्यु कारित करना वह सम्भाव्य जानता हो, मृत्यु कारित करने का नहीं था।
स्पष्टीकरण
स्पष्टीकरण 1– वह व्यक्ति, जो किसी दूसरे व्यक्ति को, जो किसी विकार, रोग या अंगशैथिल्य से ग्रसित है, शारीरिक क्षति करता है और उस दूसरे व्यक्ति की मृत्यु कारित कर देता है तो धारा 100 BNS के अनुसार आपराधिक मानव वध समझा जाएगा।
स्पष्टीकरण 2– जहां कि शारीरिक क्षति से मृत्यु कारित की गई हो, वहां जिस व्यक्ति ने, ऐसी शारीरिक क्षति कारित की हो या उसने वह मृत्यु कारित की हो, आपराधिक मानव वध समझा जाएगा, यद्यपि उचित उपचार और कौशलपूर्ण चिकित्सा करने से वह मृत्यु रोकी जा सकती थी।
स्पष्टीकरण 3– मां के गर्भ में स्थित किसी बालक की मृत्यु कारित करना मानव वध नहीं है। किन्तु किसी जीवित बालक की मृत्यु कारित करना आपराधिक मानव वध की कोटि में आ सकेगा, यदि उस बालक का कोई भाग बाहर निकल आया हो, यद्यपि उस बालक ने श्वास नहीं ली हो या उसने पूर्णतः जन्म नहीं लिया हो।
- धारा 114,115,116,117,118 BNS से सम्बन्धित जानकारी
- धारा 119,120,121,122,123,124 BNS से सम्बन्धित जानकारी
धारा 102 BNS in Hindi -जिस व्यक्ति की मृत्यु कारित करने का आशय था, उससे भिन्न व्यक्ति की मृत्यु करके आपराधिक मानव (पुरानी IPC की धारा 301)
यदि कोई व्यक्ति कोई ऐसे कृत्य द्वारा, जिससे उसका आशय मृत्यु कारित करना हो, या जिससे वह जानता हो कि मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करके, जिसकी मृत्यु कारित करने का न तो उसका आशय हो और न वह यह संभाव्य जानता हो कि वह उसकी मृत्यु कारित करेगा, आपराधिक मानव वध करे, तो अपराधी द्वारा किया गया आपराधिक मानव वध उस भांति का होगा, जिस भांति का वह होता, यदि वह उस व्यक्ति की मृत्यु कारित करता जिसकी मृत्यु कारित करना उसके द्वारा आशयित था या वह जानता था कि उसके द्वारा उसकी मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है।
धारा 105 BNS in Hindi – हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए दण्ड (पुरानी IPC की धारा 304)
जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है, तो वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु होना संभाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाए, या यदि वह कार्य इस आशय के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, कारित करने के किसी आशय के बिना किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
धारा 110 BNS in Hindi -आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न (पुरानी IPC की धारा 308)
जो कोई किसी कार्य को ऐसे आशय या ज्ञान से और ऐसी परिस्थितियों में करता है कि यदि उस कार्य से वह मृत्यु कारित कर देता, तो वह हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोषी होता, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा और यदि ऐसे कार्य द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति हो जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत
क गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर, ऐसी परिस्थितियों में, ख पर पिस्तौल चलाता है कि यदि तद्दद्वारा वह मृत्यु कारित कर देता तो वह हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोषी होता। क ने इस धारा 110 BNS में परिभाषित अपराध किया है।
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