धारा 114 BNS in Hindi (उपहति )
उपहति की परिभाषा– जो कोई किसी व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा, रोग या अंग-शैथिल्य कारित करता है, कहा जाता है कि वह उपहति करता है।
नोट – IPC में उपहति की परिभाषा आईपीसी की धारा 319 के अंतर्गत रखी गई थी।
धारा 115 BNS in Hindi (स्वेच्छया उपहति कारित करना)
धारा 115 (1) BNS in Hindi
जो कोई किसी कार्य को इस आशय से करता है कि तदद्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करे या इस ज्ञान के साथ करता है कि यह संभाव्य है कि वह तद्दद्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करे और तदद्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करता है, कहा जाता है कि वह “स्वेच्छया उपहति करता है”।
नोट – IPC में स्वेच्छया उपहति कारित करना आईपीसी की धारा 321 के अन्तर्गत आता था।
धारा 115 (2) BNS in Hindi
जो कोई धारा 122(1) BNS के अधीन उपबंधित मामले के सिवाय स्वेच्छया उपहति कारित करता है, दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो एक वर्ष तक का हो सकेगा, या जुर्माने से जो दस हजार तक का हो सकेगा या, दोनों से, दंडनीय होगा।
नोट – पुरानी IPC में इस प्रकार के अपराध को आईपीसी की धारा 323 के अन्तर्गत रखा गया था जिसमें पहले दण्ड केवल एक हजार रुपए था।
धारा- 116 BNS in Hindi (घोर उपहति के प्रकार)
उपहति की केवल निम्नलिखित किस्में “घोर” कहलाती है
(क) पुंस्त्वपहरण
(ख) दोनों में से किसी भी नेत्र की दृष्टि की स्थायी क्षतिः
(ग) दोनों में से किसी भी कान की श्रवणशक्ति की स्थायी क्षति :
(घ) किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेदः
(ङ) किसी भी अंग या जोड़ की शक्तियों का नाश या स्थायी हास;
(च) सिर या चेहरे का स्थायी विद्रुपीकरण;
(छ) अस्थि या दांत का भंग या विसंधान:
(ज) कोई उपहति जो जीवन को संकटापन्न करती है या जिसके कारण उपहत व्यक्ति पंद्रह दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा में रहता है या अपने मामूली कामकाज को करने में असमर्थ रहता है।
धारा 117 BNS in Hindi (स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना)
धारा 117 (1) BNS in Hindi
जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करता है, यदि वह उपहति, जिसे कारित करने का उसका इच्छा है या जिसे वह जानता है कि उसके द्वारा उसका किया जा सकता है घोर उपहति है, और यदि वह उपहति, जो वह कारित करता है, घोर उपहति हो, तो वह ‘स्वेच्छया घोर उपहति करता है”, यह कहा जाता है।
नोट – पुरानी IPC में इस प्रकार के अपराध को आईपीसी की धारा 322 के अन्तर्गत रखा गया था।
स्वेच्छया घोर उपहति का स्पष्टीकरण–
कोई व्यक्ति स्वेच्छया धोर उपहति कारित करता है, यह नहीं कहा जाता है सिवाय जबकि वह घोर उपहति कारित करता है और घोर उपहति कारित करने का उसका इच्छा हो या घोर उपहति कारित होना वह सम्भाव्य जानता हो। किन्तु यदि वह यह आशय रखते हुए या यह संभाव्य जानते हुए कि वह किसी एक किस्म की घोर उपहति कारित कर दे वास्तव में दूसरी ही किस्म की घोर उपहति कारित करता है, तो यह स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, यह कहा जाता है।
स्वेच्छया घोर उपहति का उदाहरण –
क, यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह ख के चेहरे को स्थायी रूप से विदूषित कर देगा, ख के चेहरे पर प्रहार करता है जिससे ख का चेहरा स्थायी रूप से विदुषित तो नहीं होता, किन्तु ख की पंद्रह दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा कारित होती है। क ने स्वेच्छया पोर उपहति कारित की है।
धारा-117 (2) BNS in Hindi – पुरानी IPC में धारा 325
जो कोई, धारा 122 (2) BNS में उपबंधित मामले के सिवाय, स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, दोनों में से किसी भांति के कारावास जो सात वर्ष तक हो सकेगा, दंडनीय होगा, और जुर्माना का भी दायी होगा।
धारा 117 (3) BNS in Hindi – पुरानी IPC में धारा 325
जो कोई उपधारा (1) के अधीन अपराध कारित करता है और ऐसे कारित करने के क्रम में किसी व्यक्ति को उपहति कारित करता है, जो उस व्यक्ति को स्थायी दिव्यांगता कारित करता है य उस व्यक्ति को लगातार विकृतशील दशा में डाल देता है वह ऐसी अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय होगा जो 10 वर्ष से कम नही होगा किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा, जिससे उस व्यक्ति के प्राकृत जीवन की शेष अवधि का कारावास अभिप्रेत है।
धारा 117 (4) BNS in Hindi – पुरानी IPC में धारा 325
जहां पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा, सामान्य मति से कार्य करते हुए, किसी व्यक्ति को उसके मूलवंश, जाति या समूदाय, लिग, जन्मस्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समरूप आधार पर, घोर उपहति कारित की जाती है, वहां ऐसे समूह कर प्रत्येक सदस्य घोर उपहति कारित करने के अपराध का दोषी होगा और दोनों में से किसी भांति के कारावास से दंडनीय होगा, जो 7 वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने का भी दायी होगा।
धारा 118 BNS in Hindi (खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना)
धारा 118 (1) BNS In Hindi – पुरानी IPC में धारा 324
जो कोई, धारा 122 (1) BNS में उपबंधित दशा के सिवाय, असन, वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा या किसी ऐसे उपकरण द्वारा जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाए, तो उससे मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा, या किसी विष या किसी संक्षारक पदार्थ द्वारा या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा या किसी ऐसे पदार्थ द्वारा, जिसका सांस में जाना या निगलना या रक्त में पहुंचना मानव शरीर के लिए हानिकारक है, या किसी जीव-जन्तु द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करेगा।
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से जो बीस हजार रूपए तक हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
धारा 118 (2) BNS In Hindi – पुरानी IPC में धारा 324
जो कोई, धारा 122 (2) BNS में उपबंधित दशा के सिवाय, 118 (1) BNS में निर्दिष्ट किसी साधन से स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, आजीवन कारावास या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दंडनीय होगा, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी किंतु 10 वर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
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