धारा 119 BNS in Hindi (संपत्ति उद्यापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना)
धारा 119 (1) BNS in Hindi (पहले IPC की धारा 327 में)
जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ति से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से, कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूत्ति उद्घापित की जाए या उपहत व्यक्ति या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को कोई ऐसी बात, जो अवैध हो, या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो, करने के लिए मजबूर किया जाए, यह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
धारा 119 (2) BNS in Hindi (पहले IPC की धारा 329 में)
जो कोई व्यक्ति घोर उपहति कारित करेगा, वह धारा 119(2) BNS in Hindi के अनुसार आजीवन कारावास या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दंडनीय होगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक हो सकेगी और जुमनि के लिए भी दायी होगा।
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धारा 120 BNS in Hindi (संस्वीकृति उद्दापित करने या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना)
धारा 120(1) BNS in Hindi
जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध या अपचार का पता चल सके, उदापित की जाए या उपहत व्यक्ति या उससे हितबद्ध व्यक्ति को मजबूर किया जाए कि वह कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति प्रत्यावर्तित करे, या करवाए, या किसी दावे या मांग की पुष्टि, या ऐसी जानकारी दे, जिससे किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके।
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
नोट– धारा-120 BNS में वर्णित अपराध को पुरानी IPC की धारा 330 के अंतर्गत रखा गया था।
दृष्टांत/उदाहरण
(क) क, जो एक पुलिस अधिकारी है, ख से यह संस्वीकृति कराने के लिए कि उसने अपराध किया है उसे उत्प्रेरित करने के लिए यातना देता है। क इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है।
(ख) क, जो एक पुलिस अधिकारी है, ख से यह पता लगाने के लिए कि ख ने अमुक चुराई हुई सम्पत्ति कहां रखी है, उत्प्रेरित करने के लिए उसे यातना देता है। क इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है।
(ग) क, जो एक राजस्व अधिकारी, राजस्व की वह बकाया, जो ख द्वारा शोध्य है, देने के लिए ख को विवश करने के लिए उसे यातना देता है। क इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है।
धारा 121 BNS in Hindi लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भवरात करने के लिए स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना।
धारा 121 (1) BNS in Hindi (पुरानी IPC की धारा 332 मे )
जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो या इस आशय से कि उस व्यक्ति को या किसी अन्य लोक सेवक को, वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन से निवारित या भयोपरत् करे या वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छ्या उपहति कारित करेगा।
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
नोट– धारा 121 (1) BNS में वर्णित अपराध को पुरानी IPC की धारा 332 के अन्तर्गत रखा था जिसमें इस अपराध के लिए केवल 3 वर्ष के कारावास की सजा थी।
धारा 121 (2) BNS in Hindi
जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो या इस आशय से कि उस व्यक्ति को, या किसी अन्य लोक सेवक को वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित या भयोपरत् करे या वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा।
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि जो एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
नोट – धारा 121 (2) BNS में वर्णित अपराध को पुरानी IPC की धारा 332 के अन्तर्गत रखा था।
धारा 122 BNS in Hindi (प्रकोपन पर स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना)
धारा 122(1) BNS in Hindi
जो कोई गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, यदि न तो उसका आशय उस व्यक्ति से भिन्न, जिसने प्रकोपन दिया था, किसी व्यक्ति को उपहति कारित करने का हो और न वह अपने द्वारा ऐसी उपहति कारित किया जाना सम्भाव्य जानता हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुमनि से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
नोट – धारा 122 (1) BNS में वर्णित अपराध को पुरानी IPC की धारा 334 के अन्तर्गत रखा था जिसमें इस अपराध के लिए केवल 500 रूपये का जुर्माना था।
धारा 122 (2) BNS in Hindi
जो कोई गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, यदि न तो उसका आशय उस व्यक्ति से भिन्न, जिसने प्रकोपन दिया था, किसी व्यक्ति को घोर उपहत्ति कारित करने का हो और न वह अपने द्वारा ऐसी घोर उपहति कारित किया जाना सम्भाव्य जानता हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
नोट – धारा 122 (2) BNS में वर्णित अपराध को पुरानी IPC की धारा 335 के अन्तर्गत रखा था जिसमें इस अपराध के लिए केवल 2 वर्ष का कारावास व दो हज़ार रूपये का जुर्माना था।
स्पष्टीकरण– यह धारा उसी परंतुक के अध्यधीन हैं, जिनके अध्यधीन धारा 101 का अपवाद है।
धारा 123 BNS in Hindi (अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा उपहति कारित करना )
जो कोई इस आशय से कि किसी व्यक्ति की उपहति कारित की जाए या अपराध करने के, या किए जाने को सुकर बनाने के आशय से, या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह तद्द्वारा उपहति कारित करेगा, कोई विष या जडिमाकारी, नशा करने वाली या अस्वास्थ्यकर ओषधि या अन्य चीज उस व्यक्ति को देगा या उसके द्वारा लिया जाना कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माना के लिए भी दायी होगा।
नोट – धारा 123 BNS में वर्णित अपराध को पुरानी IPC की धारा 328 के अन्तर्गत रखा था।
धारा 124 (अम्ल, आदि का प्रयोग करके स्वेच्छ्या घोर उपहति कारित करना )
धारा 124(1) BNS in Hindi (पुरानी IPC की धारा 326A)
जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग या किन्हीं भागों को उस व्यक्ति पर अम्ल फेंककर या उसे अम्ल देकर या किन्हीं अन्य साधनों का प्रयोग करके, ऐसा कारित करने के आशय या ज्ञान से कि संभाव्य है उससे ऐसी क्षति या उपहति कारित हो, स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करेगा या अंगविकार करेगा या जलाएगा या विकलांग बनाएगा या विद्रूपित करेगा या निःशक्त बनाएगा या घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
ऐसा जुर्माना पीड़ित के उपचार के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा परंतु यह और कि इस उपधारा 124(1) BNS के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीड़ित को संदत्त किया जाएगा।
धारा 124(2) BNS in Hindi (पुरानी IPC की धारा 326B)
जो कोई, किसी व्यक्ति को स्थायी वा आंशिक नुकसान कारित करने या उसका अंगविकार करने या जलाने या विकलांग बनाने या विद्रूपित करने या निःशक्त बनाने या घोर उपहति कारित करने के आशय से उस व्यक्ति पर अम्ल फेंकेगा या फेंकने का प्रयत्न करेगा या किसी व्यक्ति को अम्ल देगा या अम्ल देने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण 1– इस धारा के प्रयोजनों के लिए ‘अम्ल’ में कोई ऐसा पदार्थ सम्मिलित है जो ऐसे अम्लीय या संक्षारक स्वरूप या ज्वलन प्रकृति का है, जो ऐसी शारीरिक क्षति करने योग्य है, जिससे क्षतचिह्न बन जाते हैं या विद्रूपता या अस्थायी या स्थाथी दिव्यांगता हो जाती है।
स्पष्टीकरण 2– इस धारा के प्रयोजनों के लिए स्थायी या आंशिक नुकसान या अंगविकार या स्थायी विकृतशील दशा का अपरिवर्तनीय होना आवश्यक नहीं होगा।
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