हत्या के लिए कितने दिन की होगी जेल-धारा 101 BNS से धारा 110 BNS in Hindi की विस्तृत जानकारी

हत्या

धारा 101 BNS in Hindi – हत्या की परिभाषा ( पुरानी आईपीसी की धारा 300 )

कुछ अपवादित दशाओं/परिस्थितियों को छोड़कर, आपराधिक मानव वध को हत्या कहते है।

(क) यदि वह कार्य, जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई हो, मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया हो।

(ख) यदि वह कार्य, जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, वह ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से किया गया हो, जिससे अपराधी जानता हो कि उस व्यक्ति को मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, जिसको वह अपहानि कारित की गई है।

(ग) यदि वह कार्य, जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, वह किसी व्यक्ति को शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से किया गया हो और वह शारीरिक क्षति, जिसके कारित करने का आशय हो, प्रकृति के साधारण नैसर्गिक अनुक्रम में मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त हो।

(घ) यदि कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, करने वाला व्यक्ति यह जानता हो कि वह कार्य इतना आसन्न संकट है कि पूरी अधिसंभाव्यता है कि वह मृत्यु कारित कर ही देगा या ऐसी शारीरिक क्षति कारित कर ही देगा जिससे मृत्यु कारित होना संभाव्य है और वह मृत्यु कारित करने या पूर्वोक्त रूप की क्षति कारित करने की जोखिम उठाने के लिए किसी प्रतिहेतु के बिना ऐसा कार्य करे।

दृष्टांत

(क) ख को मार डालने के आशय से क उस पर गोली चलाता है, परिणामस्वरूप य की मृत्यु हो जाती है। क हत्या करता है।

(ख) क यह जानते हुए कि य ऐसे रोग से ग्रस्त है कि सम्भाव्य है कि एक प्रहार उसकी मृत्यु कारित कर दे, शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से उस पर आघात करता है। उस प्रहार के कारण य की मृत्यु हो जाती है। क हत्या का दोषी है,

यद्यपि वह प्रहार किसी अच्छे स्वस्थ व्यक्ति की मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त न होता। किन्तु यदि क, यह न जानते हुए कि य किसी रोग से ग्रस्त है, उस पर ऐसा प्रहार करता है, जिससे कोई अच्छा स्वस्थ व्यक्ति न मरता, तो यहां, क, यद्यपि शारीरिक क्षति कारित करने का उसका आशय हो, हत्या का दोषी नहीं है, यदि उसका उददेशय  मृत्यु कारित करने का या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने का नहीं था, जिससे साधारण नैसर्गिक अनुक्रम में मृत्यु कारित हो जाए।

(ग) य को तलवार या लाठी से ऐसा घाव क जानबूझकर करता है, जो साधारण  मनुष्य की मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त है। परिणामस्वरूप य की मृत्यु कारित हो जाती है, यहां क हत्या का दोषी है, यद्यपि उसका आशय य की मृत्यु कारित करने का न रहा हो।

(घ) क किसी प्रतिहेतु के बिना व्यक्तियों के एक समूह पर भरी हुई तोप चलाता है और उनमें से एक का वध कर देता है। क हत्या का दोषी है, यद्यपि किसी विशिष्ट व्यक्ति की मृत्यु कारित करने की उसकी पूर्वचिन्तित परिकल्पना न रही हो।

विस्तार से जाने – आपराधिक मानव वध धारा BNS in Hindi

अपवाद -1

आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि अपराधी उस समय जब वह गम्भीर और अचानक प्रकोपन से आत्म संयम की शक्ति से वंचित हो, उस व्यक्ति की, जिसने कि वह प्रकोपन दिया था, मृत्यु कारित करे या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु भूल या दुर्घटनावश कारित करे परन्तु

प्रकोपन

(क) किसी व्यक्ति का वध करने या अपहानि करने के लिए अपराधी द्वारा प्रतिहेतु के रूप में ईप्सित न हो या स्वेच्छया प्रकोपित न हो;

(ख) किसी ऐसी बात द्वारा न दिया गया हो, जो कि विधि के पालन में या लोक सेवक द्वारा ऐसे लोक सेवक की शक्तियों के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो;

(ग) किसी ऐसी बात द्वारा न दिया गया हो, जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो। स्पष्टीकरण- प्रकोपन इतना गम्भीर और अचानक था या नहीं कि अपराध को हत्या की कोटि में जाने से बचा दे, यह तथ्य का प्रश्न है।

दृष्टांत

(क) य द्वारा दिए गए प्रकोपन के कारण प्रदीप्त आवेश के असर में म का, जो य का बालक है, क जानबूझकर वध करता है। यह हत्या है, क्योंकि प्रकोपन उस बालक द्वारा नहीं दिया गया था और उस बालक की मृत्यु उस प्रकोपन से किए गए कार्य को करने में दुर्घटना या दुर्भाग्य से नहीं हुई है।

(ख) क को म गम्भीर और अचानक प्रकोपन देता है। क इस प्रकोपन से म पर पिस्तौल चलाता है, जिसमें न तो उसका आशय य का, जो समीप ही है किन्तु दृष्टि से बाहर है, वध करने का है, और न वह यह जानता है कि सम्भाव्य है कि वह य का वध कर दे। क, य का वध करता है। यहां क ने हत्या नहीं की है, किन्तु केवल आपराधिक मानव वध किया है।

(ग) य द्वारा, जो एक बेलिफ है, क को विधिपूर्वक गिरफ्तार किया जाता है। उस गिरफ्तारी के कारण क को अचानक और तीव्र आवेश आ जाता है और वह य का वध कर देता है। यह हत्या है, क्योंकि प्रकोपन ऐसी बात द्वारा दिया गया था, जो एक लोक सेवक द्वारा उसकी शक्ति के प्रयोग में की गई थी।

(घ) य के समक्ष, जो एक मजिस्ट्रेट है, साक्षी के रूप में क उपसंजात होता है। य यह कहता है कि वह क के अभिसाक्ष्य के एक शब्द पर भी विश्वास नहीं करता और यह कि क ने शपथ-भंग किया है। क को इन शब्दों से अचानक आवेश आ जाता है और वह य का वध कर देता है। यह हत्या है।

(ङ) य की नाक खींचने का प्रयत्न क करता है। य प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में ऐसा करने से रोकने के लिए क को पकड़ लेता है। परिणामस्वरूप क को अचानक और तीव्र आवेश आ जाता है और वह य का वध कर देता है। यह हत्या है, क्योंकि प्रकोपन ऐसी बात द्वारा दिया गया था, जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की गई थी।

(च) ख पर य आघात करता है। ख को इस प्रकोपन से तीव्र क्रोध आ जाता है। क जो निकट ही खड़ा हुआ है, ख के क्रोध का लाभ उठाने और उससे य का वध कराने के आशय से उसके हाथ में एक छुरी उस प्रयोजन के लिए दे देता है। ख उस कुरी से य का वध कर देता है, यहां ख ने चाहे केवल आपराधिक मानव वध ही किया हो, किन्तु क हत्या का दोषी है।

अपवाद – 2

आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि अपराधी, शरीर या सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार को सद्भावपूर्वक प्रयोग में लाते हुए विधि द्वारा उसे दी गई शक्ति का अतिक्रमण कर दे, और पूर्वचिन्तन बिना और ऐसी प्रतिरक्षा के प्रयोजन से जितनी अपहानि करना आवश्यक हो उससे अधिक अपहानि करने के किसी आशय के बिना उस व्यक्ति की मृत्यु कारित कर दे, जिसके विरुद्ध वह प्रतिरक्षा का ऐसा अधिकार प्रयोग में ला रहा हो।

दृष्टांत

क को चाबुक मारने का प्रयत्न य करता है, किन्तु इस प्रकार नहीं कि क को घोर उपहति कारित हो। क एक पिस्तौल निकाल लेता है। य हमले को चालू रखता है। क सद्भावपूर्वक यह विश्वास करते हुए कि वह अपने को चाबुक लगाए जाने से किसी अन्य साधन द्वारा नहीं बचा सकता है गोली से य का वध कर देता है। क ने हत्या नहीं की है, किन्तु केवल आपराधिक मानव वध किया है।

अपवाद -3

आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि अपराधी ऐसा लोक सेवक होते हुए, या ऐसे लोक सेवक को मद्द देते हुए, जो लोक न्याय की अग्रसरता में कार्य कर रहा है, उसे विधि द्वारा दी गई शक्ति से आगे बढ़ जाए, और कोई ऐसा कार्य करके जिसे वह विधिपूर्ण और ऐसे लोक सेवक के नाते उसके कर्तव्य के सम्यक्, निर्वहन के लिए आवश्यक होने का स‌द्भावपूर्वक विश्वास करता है, और उस व्यक्ति के प्रति, जिसकी कि मृत्यु कारित की गई हो, वैमनस्य के बिना मृत्यु कारित करे।

अपवाद 4

आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि वह मानव वध अचानक झगड़ा जनित आवेश की तीव्रता में हुई अचानक लड़ाई में पूर्वचिन्तन बिना और अपराधी द्वारा अनुचित लाभ उठाए बिना या क्रूरतापूर्ण या अप्रायिक रीति से कार्य किए बिना किया गया हो।

स्पष्टीकरण-ऐसी दशाओं में यह तत्वहीन है कि कौन पक्ष प्रकोपन देता है या हमला करता है।

अपवाद 5

आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि वह व्यक्ति जिसकी मृत्यु कारित की जाए, अठारह वर्ष से अधिक आयु का होते हुए, अपनी सम्मति से मृत्यु होना सहन करे, या मृत्यु की जोखिम उठाए।

दृष्टांत

क, एक बालक जिसका नाम ख है उससे स्वेच्छया आत्महत्या करवाता है। यहां, कम उम्र होने के कारण ख अपनी मृत्यु के लिए सम्मति देने में असमर्थ था, इसलिए, क ने हत्या का दुष्प्रेरण किया है।

धारा 114  BNS से धारा 118 BNS – उपहाति से सम्बन्धित जानकारी 

धारा 119 BNS से धारा 124 BNS – उपहाति से सम्बन्धित जानकारी

धारा 103 BNS in Hindi- हत्या के लिए दण्ड ( पुरानी IPC की धारा 302 )

  • उप धारा 103(1) BNS in Hindi के अनुसार जो कोई हत्या करेगा, वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
  • उप धारा 103(2) BNS in Hindi के अनुसार जब पांच या पांच से अधिक व्यक्तियों का कोई समूह मिलकर मूलवंश, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा व्यैक्तिक विश्वास या किसी अन्य समरूप आधार पर हत्या कारित करते हैं तो ऐसे समूह का प्रत्येक सदस्य मृत्यु या आजीवन कारावास के दंड से दंडनीय होगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

धारा 104 BNS in Hindi- आजीवन सिद्धदोष द्वारा हत्या के लिए दण्ड ( पुरानी IPC की धारा 303 )

जो कोई आजीवन कारावास के दण्डादेश के अधीन होते हुए हत्या करेगा, वह मृत्यु या आजीवन कारावास, जो व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए होगा, से दण्डित किया जाएगा।

धारा 106 BNS in Hindi- उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना ( पुरानी IPC की धारा-304A)

  • उप धारा 106(1) BNS in Hindi – जो कोई उतावलेपन से या उपेक्षापूर्ण किसी ऐसे कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, जो आपराधिक मानव वध की कोटि में नहीं आता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा और यदि ऐसे कृत्य किसी रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा, जब वह चिकित्सीय प्रक्रिया संपादित कर रहा हो, कारित किया जाता है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुमनि के लिए भी दायी होगा,
स्पष्टीकरण

इस उपधारा के प्रयोजन के लिए रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी” से ऐसा चिकित्सा व्यवसायी अभिप्रेत है जिसके पास राष्ट्रीय आयर्विज्ञान आयोग अधिनियम, 2019 के अधीन मान्यताप्राप्त कोई चिकित्सा अर्हता है तथा जिसका नाम उस अधिनियम के अधीन राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर या किसी राज्य चिकित्सा रजिस्टर में प्रविष्ट किया गया है।

  • धारा 106(2) BNS in Hindi  जो कोई, यान के उतावलेपन या उपेक्षापूर्ण चालन से, किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, जो आपराधिक मानव वध की कोटि में नहीं आता है और घटना के तत्काल पश्चात्, इसे पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट किए बिना, निकलकर भागेगा, किसी भी भाति के ऐसी अवधि के कारावास से, जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जमनि के लिए भी दायी होगा।

धारा 107 BNS in Hindi- बालक या विकृत चित्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण ( पुरानी IPC की धारा-305 )

यदि कोई बालक, विकत चित व्यक्ति, मतता की अवस्था में कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है जो कोई ऐसी आत्महत्या को करने के लिए दुष्प्रेरण करेगा, तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास या ऐसी अवधि के कारावास से, जो दस वर्ष से अधिक की नहीं होगी, दंडनीय होगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

धारा -108 BNS in Hindi – आत्महत्या का दुष्प्रेरण ( पुरानी IPC की धारा 306 )

यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो जो कोई ऐसी आत्महत्या का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

धारा-109 BNS in Hindi हत्या करने का प्रयत्न (पुरानी IPC की धारा 307 )

  • उप धारा 109(1) BNS iin Hindi- जो कोई किसी कृत्य को ऐसे आशय या ज्ञान से और ऐसी परिस्थितियों में करता है कि यदि वह उस कृत्य द्वारा मृत्यु कारित कर देता तो वह हत्या का दोषी होता, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा, और यदि ऐसे कार्य द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित हो जाए, तो वह अपराधी या तो आजीवन कारावास से या ऐसे दण्ड से दण्डनीय होगा, जैसा एतस्मिनपूर्व वर्णित है।
  • उप धारा 109(2) BNS iin Hindi- उपधारा (1) के अधीन अपराध करने वाला कोई व्यक्ति आजीवन कारावास के दण्डादेश के अधीन हो, तब यदि उपहति कारित हुई हो, तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास, जो व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए होगा, से दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत

(क) य का वध करने के आशय से क उस पर ऐसी परिस्थितियों में गोली चलाता है कि यदि मृत्यु हो जाती, तो क हत्या का दोषी होता। क इस धारा के अधीन दण्डनीय है।

(ख)सुकुमार अवस्था के बालक की मृत्यु करने के आशय से उसे एक निर्जन स्थान में अरक्षित छोड़ देता है। क ने इस धारा द्वारा परिभाषित अपराध किया है, यद्यपि परिणामस्वरूप उस बालक की मृत्यु नहीं होती।

(ग) य की हत्या का आशय रखते हुए क एक बन्दूक खरीदता है और उसको भरता है। क ने अभी तक अपराध नहीं किया है। य पर क बन्दूक चलाता है। उसने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है, यदि इस प्रकार गोली मार कर वह य को घायल कर देता है, तो वह उपधारा (1) के पश्चात्वर्ती भाग द्वारा उपबन्धित दण्ड से दण्डनीय है।

(घ) विष द्वारा य की हत्या करने का आशय रखते हुए क विष खरीदता है, और उसे उस भोजन में मिला देता है, जो क के अपने पास रहता है, क ने इस धारा में परिभाषित अपराध अभी तक नहीं किया है। क उस भोजन को य की मेज पर रखता है, या उसको य की मेज पर रखने के लिए य के सेवकों को परिदत्त करता है। क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।

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