Dhara 158 BNS in Hindi: पैरोल पर रिहा व्यक्ति भी बन सकता है आपके जेल जानें का कारण

Dhara 158 BNS in Hindi: वैसे तो जेल से निकल भागना किसी कैदी के लिए आसान काम नहीं है फिर भी कभी-कभी हमें कैदियों के जेल से निकल भागने की खबरें सुनाई देती हैं। क्या हो अगर हमारे पहचान का कोई व्यक्ति जेल से निकल भागने में सफल हो जाता है और हमारे घर रुकने के लिए आ जाता है, तो इन परिस्थितियों में हमें उस व्यक्ति को घर पर रुकने देना चाहिए की नहीं। ऐसा करने पर हमें नए कानून के अनुसार कौन सी सजा मिल सकती है इसके बारे में जानना हमारे लिए बेहद जरूरी है।

1 जुलाई 2024 से भारत में भारतीय दंड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) लागू कर दी गई है जिसमें इस प्रकार के कृत्यों के लिए BNS की धारा 158 का प्रावधान किया गया है।

Dhara 158 BNS क्या है?

जब किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा सजा दी गई हो और वह व्यक्ति किसी जेल में बंद है तो ऐसे कैदी को, जो कोई भी व्यक्ति उसे जेल से निकल भागने में मदद करेगा या अपने घर में शरण देगा या छुपाएगा या उस कैदी को फिर से पकड़े जाने पर उसके पकड़े जानें का विरोध करेगा या छुड़ाने का प्रयत्न करेगा या छुड़ाएगा तब ऐसे व्यक्ति को आजीवन कारावास या कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा।

पैरोल पर रिहा व्यक्ति भी बन सकता है आपके जेल जानें का कारण

अक्सर देखा जाता है कि जब किसी व्यक्ति को न्यायालय किसी अपराध का दोषी पाकर सजा सुना देता है तब पुलिस पर उसे दोष सिद्ध अपराधी को जेल भेज देती है। अब अगर उस अपराधी के घर कोई घटना/ दुर्घटना जैसे उसके घर के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाए या उसके घर में कोई शादी विवाह हो या कोई जरूरी कार्य हो तब वह अपराधी न्यायालय में किसी वकील के माध्यम से पैरोल लिए आवेदन करता है।आवदेन मंजूर हो जाने पर न्यायालय उस कैदी को कुछ शर्तो के साथ छोड़ देता है।

पैरोल की शर्तें जैसे-

  1. उस जिले, राज्य या देश को छोड़कर बाहर नहीं जाना
  2. सूरज ढलने के बाद घर से बाहर नहीं निकलना
  3. किसी भी सार्वजनिक पार्टी या क्लब में न जाना

या इसके अलावा अन्य शर्त भी हो सकती हैं

पैरोल पर छूटा व्यक्ति कभी-कभी इन शर्तों का उल्लंघन करते हुए भाग जाता है तब ऐसे अपराधी का साथ देने वाले या भगाने में मदद करने वाले व्यक्ति को भारतीय न्याय संहिता की धारा 158 ( dhara 158 BNS in Hindi) के अनुसार आजीवन कारावास या कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा।

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